Are we really hungry?
Are we really hungry?
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि
संगठन (एफएओ) के मुताबिक - भारत के सरकारी आंकड़ों के अनुसार सालाना करीब 14
अरब डॉलर की कीमत का भोजन भारत बरबाद कर रहा है, हम इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि पूरे यूनाइटेड किंगडम की खपत से
ज्यादा हम इंडियन भोजन बर्बाद करते हैं, हमारी
गलियां, सड़कें और कचरा डिब्बे यह साबित करने के लिए पर्याप्त हैं.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के
अनुसार, भारत
में उत्पादित भोजन का 40% तक व्यर्थ हो जाता है। भारत में लगभग 21
मिलियन टन गेहूं व्यर्थ हो जाता हैं और इसी प्रकार पूरे विश्व में लगभग 50%
कभी भी जरूरतमंद तक नहीं पहुंचता। वास्तव में,
कृषि मंत्रालय के मुताबिक, देश
में प्रति वर्ष 50,000 करोड़
रुपये का भोजन व्यर्थ होता है।
भारत में जो 2017 के वैश्विक भूख
सूचकांक में 119 देशों में 100 के बीच स्थान पर है,
लगभग 14.5 प्रतिशत जनसंख्या कुपोषित है।
खाद्यान्न के इस अपव्यय का पर्यावरण पर
भी बुरा असर पड़ता है, क्योंकि ग्रीनहाउस गैस उत्पन्न होना, पानी
का दुरूपयोग होना और वनों की कटाई कहीं न कहीं इसकी वजह से होते हैं.
खाद्य कचरे का एक प्रमुख कारण बुनियादी ढांचे की कमी है और इस कमी को उन्नत भंडारण सुविधाओं के जरिए दूर कर सकते हैं.
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Reviewed by Onlineexamfever
on
January 04, 2018
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